डॉ प्रवीण कहाले 
कंसलटेंट, कार्डियोलॉजी,
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई

कुछ दिन पहले चालीस साल की एक महिला क्लिनिक में आयी, काफी चिंता में थी। टीवी पर एक प्रोग्राम देखने के बाद से उन्होंने कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर दिया था लेकिन फिर उन्होंने उसे बंद कर दिया क्योंकि उनकी दोस्त ने उन्हें एक व्हाट्सअप मेसेज भेजा कि कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। उनके इस डर को दूर करते हुए मैंने कहा कि कैल्शियम सप्लीमेंट लेने से रक्त में कैल्शियम की मात्रा का सीधा संबंध हृदय रोग से है या नहीं इस बात का अभी तक पता नहीं लग पाया है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने के लिए एक दिन में 400 से 500 मिलीग्राम कैल्शियम लेने की सिफारिश की है, जबकि अन्य गाइडलाइन्स में 50 और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए हर दिन 700-1200 मिलीग्राम कैल्शियम के पर्याप्त सेवन की सलाह दी गयी है। मैंने महिला को सलाह दी कि यदि डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया गया हो तो कैल्शियम सप्लीमेंट लेना हमेशा बेहतर होता है। वह अपने रोज़ाना आहार से कैल्शियम पाने की कोशिश करने और चलने जैसे  व्यायाम करें, विटामिन के के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं, धूप में टहलें ताकि पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सकें और हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए सप्लीमेंट्स लें।

अतिरिक्त कैल्शियम का स्वास्थ्य पर असर 

कैल्शियम हमारे शरीर में क्या भूमिका निभाता है? कैल्शियम एक आवश्यक खनिज है जो स्वस्थ हड्डियों और दांतों के निर्माण और रखरखाव, मांसपेशियों के कार्य और नर्व ट्रांसमिशन सहित कई शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन यही कैल्शियम अगर बहुत ज़्यादा हो जाएं तो हृदय सहित हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। रक्तप्रवाह में कैल्शियम बहुत ज़्यादा हो जाने से वह धमनियों में जमा हो सकता है और उसके टुकड़े बन सकते हैं, जिससे धमनियां तंग और कठिन बन सकती हैं। इससे धमनियों से रक्त के बहने में बाधाएं पैदा हो सकती हैं, और हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इस तरह से हृदय रोग और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं की जोखिम बढ़ सकती है और गंभीर मामलों में सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और यहां तक कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

हृदय में कैल्शियम जमा होना वृद्ध वयस्कों में, खास कर 60 वर्ष से ज़्यादा आयु के लोगों में अधिक होता है। परिवार में पहले किसी को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह है या धूम्रपान की आदत है तो हृदय में कैल्शियम जमा होने से होने वाला खतरा और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। हृदय में कैल्शियम जमा होने का संबंध हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास के साथ-साथ हेरेडिटरी फैक्टर के साथ भी हो सकता है।

शरीर में कैल्शियम बहुत ज़्यादा हो जाने से हाइपरकाल्सेमिया हो सकता है। इस स्थिति में शरीर में कैल्शियम बहुत ज़्यादा हो जाता है, जिससे मतली, उलटी, कमज़ोरी और संभ्रम आदि तकलीफें हो सकती हैं। साथ ही बहुत ज़्यादा कैल्शियम का असर शरीर की आयरन और ज़िंक जैसे खनिजों को सोखने की क्षमता पर भी पड़ सकता है। इससे शरीर में इन न्यूट्रिएंट्स की कमी महसूस होने लगती है। 

क्या कैल्शियम सप्लीमेंट्स का संबंध ह्रदय रोग और ह्रदय की धमनियों में बाधा पैदा करने वाले प्लाक जमा होने से है?

कैल्शियम सप्लीमेंट्स और आपका ह्रदय 

ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम और उस पर इलाज के लिए पिछले कई दशकों से कैल्शियम सप्लीमेंट्स का उपयोग किया जा रहा है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां नाजुक हो जाती हैं और उनमें फ्रैक्चर बहुत ही आसानी से  होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। हालांकि ज़्यादातर लोगों को उनके रोज़ाना खाने से ही पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिल जाता है लेकिन कुछ लोगों को कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने पड़ सकते हैं। 

कैल्शियम सप्लीमेंट्स का संबंध ह्रदय रोग और ह्रदय की धमनियों में प्लाक के जमा होने से है या नहीं इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है। कई अध्ययनों में सुझाया गया है कि कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने से ह्रदय रोग का ख़तरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि कैल्शियम सप्लीमेंट लेने वाली महिलाओं में सप्लीमेंट नहीं लेने वाली महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक का खतरा 30% अधिक था। एक दूसरे अध्ययन में पाया गया कि कैल्शियम की खुराक कोरोनरी धमनियों में प्लाक पैदा होने की जोखिम को बढ़ा सकती है, जिससे हृदय रोग और अन्य हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

कोरोनरी धमनियों में कैल्शियम सप्लीमेंट और प्लाक पैदा होने के बीच की कड़ी के पीछे की सटीक क्रियाविधि अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आई है। एक सिद्धांत बताता है कि रक्त प्रवाह में अतिरिक्त कैल्शियम धमनियों में जमा हो सकता है और प्लाक बना सकता है। दूसरा यह है कि कैल्शियम सप्लीमेंट  कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने की शरीर की क्षमता को प्रभावित कर सकती है जिससे रक्तप्रवाह में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है। इससे आर्टेरिअल वॉल्स को नुकसान पहुंचकर सूजन हो सकती है, इससे कोरोनरी धमनियों में प्लाक बन सकता है। लेकिन इस कड़ी की पुष्टि के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। 

ह्रदय में कैल्शियम जमा होने का निदान

कोरोनरी कैल्शियम स्कैन करके ह्रदय  में कैल्शियम जमा होने का निदान किया जाता है। इस टेस्ट में हृदय की धमनियों में कैल्शियम की मात्रा को मापने के लिए एक विशेष एक्स-रे मशीन का उपयोग किया जाता है। यदि स्कैन में कैल्शियम का उच्च स्तर दिखता है, तो यह संकेत दे सकता है कि मरीज़ को हृदय रोग होने का खतरा ज़्यादा है।

क्या आपको कैल्शियम सप्लीमेंट लेना बंद कर देना चाहिए?

यदि आप कैल्शियम सप्लीमेंट लेते हैं, तो अपने डॉक्टर से हृदय रोग की जोखिम के बारे में बात कीजिए और सप्लीमेंट्स को लेना जारी रखना चाहिए या नहीं इसके बारे में उनकी सलाह लें। डॉक्टर कैल्शियम सेवन को बढ़ाने के लिए आहार या दूसरे पूरक तरीकों की सिफारिश भी कर सकते है, ताकि ह्रदय रोग की जोखिम को कम किया जा सकें। ध्यान रखें कि आहार से कैल्शियम पाना आपके कुल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और फायदेमंद होता है।

ह्रदय में कैल्शियम जमा होने की स्थिति को पलटा जा सकता है!

आपके लिए एक अच्छी खबर है कि जीवन शैली में बदलाव लाकर और दवाइयां लेकर हृदय में कैल्शियम जमा होने की स्थिति को पलटा जा सकता है। आपके डॉक्टर आपको जीवन शैली में परिवर्तन लाने के कई उपयुक्त तरीकें बता सकते है। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान न करना, स्वस्थ वज़न बनाए रखना आदि से ह्रदय रोग की जोखिम को कम किया जा सकता है। स्टैटिन जैसी दवाइयां भी कैल्शियम जमा होने की गति को धीमा करने में मदद कर सकती हैं। कुछ मामलों में, जमा कैल्शियम को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। 

आप कैल्शियम सप्लीमेंट लें या न लें, लेकिन यह बदलाव लाकर हृदय रोग और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं की जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। स्थिति की जल्द से जल्द पहचान और निदान के लिए अपने नज़दीकी अस्पताल में जाएं जहां एक मज़बूत प्राथमिक देखभाल प्रणाली मौजूद है, साथ ही देखभाल और उपचार के लिए एक बहु-विषयक टीम दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाला पूर्णकालिक मॉडल भी अपनाया जाता है।

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